जब जब मुड़कर देखा पीछे
तब तब पाया तुझे अपने संग
जब जब सजदे में तेरे
झुकाया अपना सर
तब तब पायी तेरी छाँव
तो क्या उन्होंने नहीं किया तेरा सजदा ?
कैसे तू हर पल देता है मेरा साथ
कैसे तू सेह लेता है मेरी रुस्वाई
क्या कभी तू परेशान नहीं होता
मेरी हर चीज़ की मन्नत से
मेरी सुनी तूने तो सुन ले उनकी भी
क्यों अनसुनी कर दी तूने कुछ की इबादत
क्या कोई लॉटरी सिस्टम है तेरे यहाँ
जिसका नंबर लगा, कर दी उसकी मुराद पूरी
जिसका नहीं लगा, उसको तूने भी कर दिया किनारे
माना की तू सबका मालिक है
पर क्या तेरे अंदर भी हमारी तरह एक दिल है?
अगर है तो क्यों नहीं तू सुनता सच्चे दिल की
थोड़ी मुहब्बत थोड़ी सी हमदर्दी थोड़ी सी इंसानियत
थोड़ा थोड़ा ही दे पर दे तो सही
कब से देख रही हूँ तेरे ही नाम पे हो रही है सियासत
तेरे ही बन्दे बना रहे अपने जैसो को ही बंदी
ये कहाँ की दरियादिली है की तू सबको देता आशीर्वाद
जो किसी को मारे उसे मिले तेरा साथ
और जो मरे उसे भी मिले तेरा हाथ
समझ नहीं आता अब ये खेल
क्या चाहता है तू?
करुँ तेरी इबादत या हो जाऊं तुझसे रुस्वा
अब तू ही बता करुँ तो क्या करुँ
बस हाथ ना दिखा कुछ तो कर
कब से कतार में खड़े है
अब तो कुछ बोल
अब तो दिखा अपना जलवा
एक आस ही तो है हमारे पास
ये टूटती आस ना टूटने देना
जो ये आस टूटी तो तू भी टूटने से बच ना पाएगा
क्यूंकि आस ही है सबकी सांस , शायद तेरी भी |
--- सुरभि बाफना
Öbrìgadò!
JJJ
तब तब पाया तुझे अपने संग
जब जब सजदे में तेरे
झुकाया अपना सर
तब तब पायी तेरी छाँव
तो क्या उन्होंने नहीं किया तेरा सजदा ?
कैसे तू सेह लेता है मेरी रुस्वाई
क्या कभी तू परेशान नहीं होता
मेरी हर चीज़ की मन्नत से
मेरी सुनी तूने तो सुन ले उनकी भी
क्यों अनसुनी कर दी तूने कुछ की इबादत
क्या कोई लॉटरी सिस्टम है तेरे यहाँ
जिसका नंबर लगा, कर दी उसकी मुराद पूरी
जिसका नहीं लगा, उसको तूने भी कर दिया किनारे
माना की तू सबका मालिक है
पर क्या तेरे अंदर भी हमारी तरह एक दिल है?
अगर है तो क्यों नहीं तू सुनता सच्चे दिल की
थोड़ी मुहब्बत थोड़ी सी हमदर्दी थोड़ी सी इंसानियत
थोड़ा थोड़ा ही दे पर दे तो सही
कब से देख रही हूँ तेरे ही नाम पे हो रही है सियासत
तेरे ही बन्दे बना रहे अपने जैसो को ही बंदी
ये कहाँ की दरियादिली है की तू सबको देता आशीर्वाद
जो किसी को मारे उसे मिले तेरा साथ
और जो मरे उसे भी मिले तेरा हाथ
समझ नहीं आता अब ये खेल
क्या चाहता है तू?
करुँ तेरी इबादत या हो जाऊं तुझसे रुस्वा
अब तू ही बता करुँ तो क्या करुँ
बस हाथ ना दिखा कुछ तो कर
कब से कतार में खड़े है
अब तो कुछ बोल
अब तो दिखा अपना जलवा
एक आस ही तो है हमारे पास
ये टूटती आस ना टूटने देना
जो ये आस टूटी तो तू भी टूटने से बच ना पाएगा
क्यूंकि आस ही है सबकी सांस , शायद तेरी भी |
--- सुरभि बाफना
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